Saturday, 25 July 2020

शायद

यह ' शायद ' किसी पोशाक की तरह उसके लब्ज़ो पर छाया रहता है ,
अब उस खंडहर जगह पर वह नहीं , उसकी तस्वीर या साया रहता है। 

यह 'शायद' शब्द कोई अतरंगी लिबाज़ है ,
या उन सभी सवालों के  जवाब देने का कोई अनोखा अंदाज़ है।  

इस 'शायद' में 'हाँ' है या 'ना' है ,
इस 'शायद' से ही तुम्हारे सारे जवाब है ,
यह शायद 'सराब' है हम प्यासों के लिए ख़राब है।   सराब =mirage 

यह 'शायद' ही है जिसने सरकारें पलटी है , घर तोड़े है ,
यह 'शायद' ही है जिसने  'जवाल और उरूज' में बहुतों के सपने जोड़े है।     जवाल और उरूज = ups and downs 

'शायद' सपना है या किसी गुमशुदे की  लौटने की आस है ,
यह 'शायद' झूट है , इसमें मिठास है ,और तुम्हे लोगो की प्यास है।  

वह फौजी भी जब जाता है तो शायद' घर छोड़ आता है ,
वह जिन्दा है या अमर हो गया इसका उत्तर भी तो 'शायद' ही बतलाता है। 

'शायद' आज साँस ले रहा हूँ , शायद कल थम जाये ,
'शायद' हौसला टूटे और मेरे सारे ख़्वाब मर जाएं।। 
                                                                  अरुणाभ मिश्रा (शंख)