संघर्ष का मैदान है ,
तुझे फांदना तूफ़ान है।
अभी जो मौत आ गयी ,
तू मौत को विराम दे ,
परेशानियां हज़ार हैं,
चलने का तू कष्ट कर ,
एक-एक करके तू उन सभी को नष्ट कर।
इस पथ पर जो दर गया ,
वह डरपोक नाकारा है ,
तू आगे बढ़ता चल ,
जो जीता उसे शूरवीर पुकारा है।
संघर्ष का मैदान है ,
तुझे फांदना तूफ़ान है।
अगर तू हारता है तो रुकना ,
वह सताते है तो झुकना मत ,
तुझे जलना पड़ेगा अब ,आगे बढ़ाना पड़ेगा अब ,
उसी का भला है जो सूर्या सा जला है ,
तुझमे भी तो यह कला है ,
किसका इंतज़ार है जब तू अकेला ही चला है।
संघर्ष का मैदान है ,
तुझे फांदना तूफ़ान है।
तू तूफ़ान से डरना मत ,
सर पर कफ़न बांध कर तू खुदा को लिखदे खत ,
क्यूंकि ''शंख'' तुझे अकेले ही बजना है ,
इस कामियाबी के पथ पर आगे बढ़ना है ।
-मिSHRA
-अरुणाभ मिश्रा (शंख)
तुझे फांदना तूफ़ान है।
अभी जो मौत आ गयी ,
तू मौत को विराम दे ,
परेशानियां हज़ार हैं,
चलने का तू कष्ट कर ,
एक-एक करके तू उन सभी को नष्ट कर।
इस पथ पर जो दर गया ,
वह डरपोक नाकारा है ,
तू आगे बढ़ता चल ,
जो जीता उसे शूरवीर पुकारा है।
संघर्ष का मैदान है ,
तुझे फांदना तूफ़ान है।
अगर तू हारता है तो रुकना ,
वह सताते है तो झुकना मत ,
तुझे जलना पड़ेगा अब ,आगे बढ़ाना पड़ेगा अब ,
उसी का भला है जो सूर्या सा जला है ,
तुझमे भी तो यह कला है ,
किसका इंतज़ार है जब तू अकेला ही चला है।
संघर्ष का मैदान है ,
तुझे फांदना तूफ़ान है।
तू तूफ़ान से डरना मत ,
सर पर कफ़न बांध कर तू खुदा को लिखदे खत ,
क्यूंकि ''शंख'' तुझे अकेले ही बजना है ,
इस कामियाबी के पथ पर आगे बढ़ना है ।
-मिSHRA
-अरुणाभ मिश्रा (शंख)