Wednesday, 6 March 2019

तन्हाई

ख्वाब हूँ किसी का मेहराब हूँ किसी का ,
जवाब हूँ किसीका तो सवाल हूँ किसी का ,
गम तो काफी है जिंदगी में किसको सुनाऊ,
मिलते हैं किसी दिन कुछ तुम सुनाओ कुछ मैं बताऊ ,
आओ तो सुनलो उसके बारे में ,
कुछ बुन लो उसके बारे में ,
वह तितली की तरह आई और जिंदगी को बाग़ करगयी ,
मेरे हर नापाक इरादों को पाक कर गयी॥
                                                       -मिSHRA
                                                    -अरुणाभ मिश्रा 

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