शिवम को तो मारा ही मारा सलमान को भी नहीं छोड़ा,
क्यूं उन बेकसूरों का घर तोड़ा ।
अरे टूट जाता है एक इंसान घर बनाने में यहां तुम बस्तियां जला रहे हो,
अपनी गद्दी मजबूत करने के लिए दंगा फैला रहे हो।
तुम्हे मालूम नहीं था क्या कि उस घर में शादी है जिसको तुमने लूटा ,
सदियों से जो कर रहे थे तयारी जिसकी , एक पल में ही वह घर टूटा।
क्यों हर बार हिन्दू मुस्लिम पर आकर ही रुकते हो ,
दो चार को मार कर ही छकते हो
शायद , इससे तुम चुनाव तो जीत जाओगे ,
पर जिसने अपना बेटा खोया उस माँ से वोट मांग पाओगे।
क्यों फिर इस आग में अपनी रोटी सेकते हो ,
हिन्दू मुस्लिम एकता पर लम्बी लम्बी फेकते हो।
क्या शाहीनबाग की आग में तुम्हारा ही हात था,
जामिया की हिंसा में और कौन कौन तुम्हारे साथ था ।
अरे ! ये क्या कर दिया तुमने , संविधान का चोला पहन कर पूरा देश राख कर दिया तुमने ।
- मिSHRA
- अरुणाभ मिश्रा (शंख)